मैदान में हम और घर में आप, लड़ें कोरोना से जंग, जीतेंगे हम

ग्वालियर। मैदान में हम और घर में रहकर आप कोरोना को हराएंगे। इस महामारी को हर कीमत पर हराना है इसलिए सबको मिलकर इससे लड़ना है। ध्यान रखें एक चूक जान पर बन सकती है। इसलिए किसी भी तरह की हमें चूक नहीं करनी है। मैदानी अमला मैदान में डटकर लड़ाई लड़ेगा और पीछे से घर में रहकर आप उसका सपोर्ट करो। यही कोरोना को हराने का सबसे आसान तरीका है। जिस तरह से सीमा पर लड़ने वाले जवान को पीछे से सपोर्ट मिलता वैसे ही स्वास्थ्य,प्रशासन, पुलिस और निगम अमले को हमें घर में रहकर सपोर्ट देना है।


अखिलेश जैन-क्लर्क


कोरोना से लड़ाई में हिस्सा ले रहे अखिलेश जैन का कहना है कि सुबह घर से निकलने का तो पता होता पर कब वापस लौटेंगे कोई पता नहीं होता। क्वारंटाइन, आइसोलेशन वार्ड बनाने वहां पर मरीज रखने की व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसके साथ ही मरीज की सैंपल रिपोर्ट डीआरडीओ भेजने से लेकर कलेक्ट करने तक का काम भी उन्हें ही करना होता है। स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच समन्वय बनाने का काम भी उन्हीं पर है। हेल्थ टीम द्वारा लोगों की जा रही स्क्रीनिंग, जांच रिपोर्ट,अन्य रिपोर्ट को भोपाल भेजने व वहां से मिले निर्देशों को अफसरों तक पहुंचाने का काम वह भलीभांति कर रहे हैं। बस लोगों से एक ही निवेदन है कि वह घर में रहकर मैदानी अमले की परेशानी कम करें।


आईपी निवारिया-जनसंपर्क का काम देख रहे


स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आईपी निवारिया का कहना है कि वह 108 के नोडल अधिकारी भी है। हेल्थ टीम द्वारा लोगों की गई स्क्रीनिंग,होम आइसोलेशन, आईसोलेशन में रखे मरीजों की जानकारी जुटा मीडिया को उपलब्ध करवाना होती है। इसके साथ ही अफसरों के निर्देश टीम तक पहुंचाना। आवश्यक संसाधनों को जुटाने की जिम्मेदारी है। इस समय हालत यह है कि एक बार घर से निकलने के बाद खाना खाने तक की फुर्सत नहीं मिलती। लगातार दौड़भाग में कब रात हो जाती पता नहीं चलता। रात को भी इमरजेंसी के लिए तैयार रहना पड़ता है कि कब बुलावा आ जाए और ड्यूटी पर जाना पड़े।


 

एमएस खान, जिला मोबोलाइजर एनएचएम


कोरोना कंट्रोल रूम की जिम्मेदारी संभाल रहे जिला मोबोलाइजर एमएस खान का कहना है कि वह लगातार तीन दिन से नाइट ड्यूटी कर रहे हैं। हेल्प लाइन नंबर जितने भी कॉल आते उन्हें अटेंड करने के बाद संबंधित हेल्थ टीम को बताना और लोगों की स्क्रीनिंग के लिए भेजने का दायित्व संभाल रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें 4 वार्डों की जिम्मेदारी दी गई है। जहां पर बाहर से आने वालों की डॉक्टर की मदद से स्क्रीनिंग करवाना उनका फोर्म भरवाना और होम आइसोलेशन में रखने से लेकर निगरानी तक की जिम्मेदारी है। हालात यह हैं कि रात में कंट्रोल रूम और दिन में वार्ड में घूम रहे हैं जिसके कारण नींद भी पूरी नहीं हो पा रही है।