100 गायों की गौशाला पर मिलेगी ढाई एकड़ जमीन, मसौदा को मिली मंजूरी

100 गायों की गौशाला पर मिलेगी ढाई एकड़ जमीन, मसौदा को मिली मंजूरी



भोपाल । आखिरकार पांच महीने के लंबे इंतजार के बाद ‘गौशाला भूमि नीति’ के मसौदे को सभी संबंधित विभागों ने हरी झंडी दे दी है। यह नीति निजी निवेशकों को गौशाला खोलने जमीन देने के लिए तैयार की गई है। गौशाला भूमि नीति में न्यूनतम 100 गायों की गौशाला खोलने के लिए ढाई एकड़ जमीन देने का प्रावधान किया गया है। इससे कम गायों की गौशाला खोलने जमीन नहीं दी जाएगी। गौशाला खोलने के लिए 10 एकड़ तक जमीन आवंटित करने का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। यदि कोई निवेशक गौशाला खोलने के लिए 10 एकड़ से ज्यादा जमीन लेना चाहता है, तो राजस्व विभाग यह जमीन पशुपालन विभाग को दे देगा। जब निजी निवेशक के साथ एमओयू होगा, तो यह जमीन पशुपालन विभाग के नाम ही रहेगी। पशुपालन और राजस्व विभाग ने करीब पांच महीने पहले प्रदेश में गौशाला निर्माण के लिए निजी निवेशकों को आकर्षित करने ‘गौशाला भूमि नीति’ का प्रस्ताव तैयार किया था। यह प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया था, लेकिन विभाग ने प्रस्ताव पर कुछ आपत्तियां दर्ज कराई थीं। इसके बाद राजस्व विभाग ने प्रस्ताव को नजूल भूमि निवर्तन निर्देश-2019 में शामिल कर भूमि आवंटन नियमों में कुछ संशोधन किए। अब प्रस्ताव को वित्त विभाग ने भी हरी झंडी दे दी है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में 19 फरवरी को होने जा रही कैबिनेट बैठक में गौशाला भूमि नीति के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी। प्रस्ताव के अनुसार गौशाला खोलने के लिए गायों की संख्या के आधार पर भूमि का आवंटन किया जाएगा। 100 गायों के लिए 2.5 एकड़, 500 गायों के लिए 12.5 एकड़, एक हजार गायों के लिए 25 एकड़ और 5 हजार गायों के लिए 125 एकड़ भूमि का आवंटन किया जाएगा।
स्मार्ट गौशालाओं का कार्य लटका
पांच महीने से गौशाला भूमि नीति के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिलने के कारण प्रदेश में स्मार्ट गौशालाओं का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। सरकार ने जून-जुलाई में एसआईडीसीएस कंपनी से स्मार्ट गौशालाओं के निर्माण को लेकर करार किया था। कंपनी ने प्रदेश में करीब 300 स्मार्ट गौशालाओं के निर्माण की बात कही थी। हर गौशाला में करीब दो हजार गाय रखी जाएंगी। एक स्मार्ट गौशाला के निर्माण पर करीब 11 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
शुरू नहीं हो पाईं हाईटेक गौशालाएं
मुख्यमंत्री कमलनाथ की पहल पर गत अगस्त में बिड़ला उद्योग समूह के कुमार मंगलम बिड़ला ने मप्र में 100 हाईटेक गौशालाओं का निर्माण करने पर अपनी सहमति दी थी। ये गौशालाएं 18 महीनों में बिड़ला समूह की सामाजिक जिम्मेदारी निधि से बनाई जानी थीं, लेकिन साढ़े चार महीने बीतने के बाद भी इन गौशालाओं का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
यह होगा नई नीति में
गौशाला खोलने संबंधी निवेशकों के प्रस्ताव का ठीक से परीक्षण, वित्तीय स्थिति के आंकलन के बाद ही इसे मंजूरी दी जाएगी।
निवेशक को गौशाला खोलने के लिए जमीन पांच साल के उपयोग के लिए दी जाएगी।
निरीक्षण में यदि गौशाला में गायों का रखरखाव ठीक से नहीं होना पाया गया या शिकायतें सामने आईं तो जमीन वापस ले ली जाएगी।
गौशाला खोलने के लिए भूमि आवंटन होने की तारीख से छह महीने के भीतर शेड आदि का निर्माण कर आधी संख्या में गायें और एक साल के भीतर पूरी गायें रखना होंगी।
गौशाला में 80 प्रतिशत निराश्रित और 20 प्रतिशत दूध देने वाली गायों को रखा जा सकेगा।
निवेशक गायों के गोबर से गैस का उत्पादन कर इसका कॉमर्शियल उपयोग करते हुए खाद, सीएनजी आदि का निर्माण कर उसे बेच सकेंगे।