बिहाइंड द कर्टन शादी के बाद वीडी का भाग्योदय

बिहाइंड द कर्टन शादी के बाद वीडी का भाग्योदय



कहते हैं कि विवाह के कई लोगों का भाग्योदय होता है। ऐसे ही लोगों में भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा शामिल हो गए हैं। बता दें कि सांसद राकेश सिंह के बाद भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष की जवाबदारी वीडी शर्मा को सौंपी है। उनकी शादी को अभी एक साल हुआ है और उनका भाग्य चरम पर है। 19 फरवरी 2019 को उनका विवाह हुआ था। इसके बाद ही संगठन ने उन्हें खजुराहो लोकसभा से टिकट दिया। पहली दफा टिकट लेकर उन्होंने रिकॉर्ड जीत भी हासिल की। शादी से पहले वे विधानसभा चुनाव के लिए टिकट चाहते थे, लेकिन किन्हीं कारणों से वे टिकट पाने में सफल नहीं हो सके। अब वे प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी बन चुके हैं। खास बात यह है कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार कई दिग्गज और वरिष्ठ नेताओं को इस मामले में पीछे छोड़ा है। वीडी की नियुक्ति के बाद अब मप्र का जबलपुर संगठन के केंद्र में आ गया है। इसकी वजह है राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की ससुराल का जबलपुर में होना। वीडी शर्मा की कर्मस्थली के साथ ससुराल जबलपुर की है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की ससुराल सिविल लाइन में है। वे पूर्व सांसद जयश्री बनर्जी के दामाद हैं। वहीं नए प्रदेश अध्यक्ष की ससुराल कृषि विवि स्थित कृषि नगर में है। उनके ससुर डायरेक्टर रिसर्च डॉ.पीके मिश्रा विज्ञानी हंै। वहीं सास कांति रावत मिश्रा भाजपा की पुरानी कार्यकर्ता हैं।


क्या शिवराज होंगे नेता प्रतिपक्ष?
मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद से राकेश सिंह की विदाई और वीडी शर्मा की नियुक्ति के बाद संगठन में व्यापक फेरबदल के संकेत भी मिलने लगे हैं। फेरबदल की आंच नेता प्रतिपक्ष के पद तक जा सकती है। अब भाजपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों पदों पर ब्राह्मण का कब्जा है। ब्राह्मण को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद शीर्ष पदों पर जातिगत समीकरण बिगड़ गया है। खबर है कि नेता प्रतिपक्ष का पद सबसे पहले चर्चा में लिए जाने की तैयारी है। इस समय नेता प्रतिपक्ष व पार्टी के वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की चर्चा के समय आलाकमान के सामने यह मुश्किल थी कि ब्राह्मण को ही कैसे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए, इसीलिए अन्य विकल्पों पर विचार चल रहा था। विधायक दल के मुख्य सचेतक नरोत्तम मिश्रा व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा इसी कारण प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए जोर लगाने से पीछे हट रहे थे, लेकिन वीडी शर्मा के नाम पर मुहर लगने से साफ हो गया है कि अब जल्द ही बदलाव होगा। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह किसी बड़ी जिम्मेदारी में आ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सबसे प्रबल दावेदार होंगे। शिवराज सत्ता जाने के बाद से ही इस पद को लेकर अपनी मंशा जाहिर करते रहे हैं।


बाबरिया फिर बनेंगे संकटमोचक
प्रदेश में सरकार बनने के बाद भी नेताओं और कार्यकर्ताओं की शिकायतों का मामला जस का तस है। अगले कुछ दिनों में दो उपचुनाव के साथ पंचायत और निकायों के चुनाव होने हैं। नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी का आलम यह है कि वे सार्वजनिक रूप से सरकार को कोसने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार को इसका भान नहीं है। इसीलिए एआईसीसी महासचिव व प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया को नाराजगी दूर करने की कमान सौंपी गई है। अब बाबरिया मंत्री जीतू पटवारी और पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव के साथ मिलकर जल्द ही व्यवस्था बनाएंगे। अब देखना है कि बाबरिया नेताओं की नाराजगी को किस हद तक साध पाते हैं और कार्यकर्ताओं के मान-मनौव्वल के लिए पार्टी के संकटमोचक बन पाते हैं या नहीं।


वन अभ्यारण्य के लिए विभाग की अनदेखी
ओंकारेश्वर अभ्यारण्य के गठन का मुद्दा आने वाले दिनों में विवाद का कारण बन सकता है। दरअसल इस अभ्यारण्य का प्रस्ताव नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और आदिम जाति कल्याण विभाग की सहमति के बगैर तैयार किया गया है। वन विभाग ने प्रस्ताव सीएम समन्वय को भेजने की तैयारी भी कर ली है। कहा जा रहा है कि वन विभाग 614.07 वर्ग किमी क्षेत्र को शामिल कर अभ्यारण्य बना रहा है। इसमें से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की नहरों के लिए जमीन छोड़ दी गई है। 32 साल बाद बनाए जा रहे अभयारण्य में दूसरे क्षेत्रों से वन्यप्राणी छोड़े जाएंगे। नर्मदा नदी पर इंदिरा सागर परियोजना की मंजूरी के साथ ही वर्ष 1987 से ओंकारेश्वर अभयारण्य का गठन लंबित है। अब देखना है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और आदिम जाति कल्याण विभाग की सहमति के बगैर इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लग पाती है या नहीं।