खाली खजाने पर भारी पड़ेगी अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति

खाली खजाने पर भारी पड़ेगी अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति



भोपाल। प्रदेश सरकार इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है। ऐसे में अगले माह सेवानिवृत्ति की आयु पूरी करने वाले करीब 12 हजार कर्मचारियों की वजह से सरकार की मुश्किलें बढऩा तय है। वजह है उनके स्वयत्तों का भुगतान करना। यही वजह है कि 24 सालों बाद अधिकारी-कर्मचारियों के रिटायरमेंट को लेकर अजीबो-गरीब स्थिति पैदा हो गई है। इसकी वजह है बीते दो साल से रिटायरमेंट पर रोक लगी होना। दरअसल पदोन्नति में आरक्षण के विवाद के चलते तत्कालीन भाजपा सरकार ने 31 मार्च 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच होने वाले रिटायरमेंट पर रोक लगा दी थी, इसके लिए सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 साल कर दी गई थी। अब ऐसे करीब 10 से 12 हजार अधिकारी-कर्मचारी अगले महीने 31 मार्च को शासकीय सेवा की अवधि पूरी करने जा रहे हैं। ऐसे में अधिकारी वर्ग को रिटायरमेंट पर 80 लाख से 1 करोड़ रुपए और कर्मचारी को 25 से 30 लाख रुपए तक का भुगतान करना पड़ेगा। इस पर 3500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार का आंकलन किया गया है। इतनी बढ़ी राशि की व्यवस्था को लेकर सरकार परेशान है। यही वजह है कि सरकार में सेवानिवृत्ति के विकल्पों पर मंथन का दौर चल रहा है। इसमें कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद 6 महीने या 1 साल की संविदा नियुक्ति देने पर विचार किया जा रहा है , जिससे रिटायरमेंट पर होने वाले भुगतान से फिलहाल राहत मिल सके। हालांकि इस बारे में कोई भी खुलकर कुछ नहीं कह रहा है।
22 साल पहले भी बन चुके हैं ऐसे ही हालात
इसी तरह के हालात 22 साल पहले बने थे जब 1996 में शासकीय सेवकों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 साल कर दी थी। सरकार को कर्मचारियों के रिटायरमेंट पर एकमुश्त भुगतान की इस स्थिति का सामना 31 मार्च 2021 में भी करना पड़ेगी, जब 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 के बीच करीब 15 हजार कर्मचारी एक साथ रिटायर होंगे, तब भी 4000 करोड़ रुपए का एक साथ भुगतान करना पड़ेगा। इस बढ़े हुए खर्चे का इस साल इंतजाम होना मुश्किल दिख रहा है।
सरकार के पास दो विकल्प
सेवानिवृत्ति की आयु एक साल बढ़ा दी जाए, लेकिन दोनों मामलों पर जीएडी को परीक्षण और सेवावृद्धि की आयु वृद्धि का फैसला वित्त विभाग को लेना है। या फिर
सेवानिवृत्ति के बाद 6 माह या 1 साल की संविदा नियुक्ति दे दी जाए, जिससे फिलहाल भुगतान से बचा जा सके।
दो सौ करोड़ बढ़ गया खर्च
यदि 31 मार्च 2018 को रिटायर होने वाले शासकीय सेवकों को विधिवत रिटायर किया जाता तो उस दौरान अधिकारियों को 5 लाख और कर्मचारियों को 2 लाख रुपए कम भुगतान करना पड़ता। दो साल में यह खर्चा 200 करोड़ रुपए बढ़ गया है। इसकी वजह है अब रिटायरमेंट पर कर्मचारियों को नियमानुसार साढ़े सोलह माह की ग्रेज्युटी, 10 माह का अवकाश नकदीकरण और स्वास्थ्य बीमा योजना में जमा हुई राशि और कर्मचारी भविष्य निधि में जमा राशि का ब्याज के साथ भुगतान करना होता है। यह राशि अधिकारियों के खाते में 80 लाख से 1 करोड़ तो कर्मचारियों के हिस्से में 25 से 30 लाख रुपए होती है।