प्रदेश भाजपा संगठन में बढ़ेगा युवाओं का महत्व, कई नेताओं की होगी छुट्टी

प्रदेश भाजपा संगठन में बढ़ेगा युवाओं का महत्व, कई नेताओं की होगी छुट्टी



भोपाल । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से महज छह साल पहले भाजपा में आए बीडी शर्मा को पार्टी हाईकमान द्वारा प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपे जाने से न केवल प्रदेश भाजपा के दिग्गज चौंक गए है, बल्कि राजनैतिक विश्लेषकों को भी हैरान कर दिया है। हालांकि श्री शर्मा की नियुक्ति से यह साफ हो गया है कि अब प्रदेश भाजपा संगठन में युवाओं को महत्व मिलने वाला है। दरअसल निवृत्तमान प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह पर उनकी निष्क्रियता इस दौरान भारी पड़ी है। वे अपने अब तक के कार्यकाल में न तो कांग्रेस सरकार के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन खड़ा कर पाए और न ही भोपाल और जबलपुर से बाहर सक्रियता दिखा पाए। यही नहीं कार्यकर्ताओं में भी वे अपनी पहचान कायम कर सके। खास बात यह है कि भी भोपाल में कम ही सक्रिय रहते थे। उनके कार्यकाल में पार्टी को विस चुनाव में भी पराजय का सामना करना पड़ा है। पार्टी हाईकमान की पसंद के बाद भी वे अपनी छाप छोडऩे में कामयाब नहीं हो पा रहे थे। उनकी पार्टी नेताओं से भी पटरी नहीं बैठने की खबरें आती रही हैं। गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर बीते लंबे समय से सियासी उठा पटक का दौर चल रहा था। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित कई नेता शामिल थे। इस पद पर तैनात किए गए शर्मा की पहचान खांटी संघ नेता के तौर पर है। संघ के बूते उनके सियासी वजन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में जब टिकट वितरण के लिए पैनल बनाया जा रहा था, तब उनका नाम भोपाल, मुरैना और खजुराहो के पैनलों में था। तीन जगहों के पैनल में नाम वाले वे एक मात्र नेता थे। संघ की पसंद के चलते ही वे खजुराहो से टिकट पाने में सफल हुए और जीते भी। श्री शर्मा का नाम प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए चलते ही प्रदेश के कई नेता शर्मा के विरोध में सक्रिय हो गए थे। उनका तर्क था कि शर्मा एवीबीपी में भले ही सालों काम कर चुके हैं पर प्रदेश के कार्यकर्ताओं के बीच उनकी पहचान व्यापक नहीं है पर जिस तरह से संगठन ने मंडल और जिलाध्यक्षों के चुनाव में उम्र का फार्मूला लागू किया उससे इस बात के संकेत मिलने लगे थे कि अब प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर किसी युवा को ही सौंपी जाएगी। लिहाजा संगठन ने बड़े नेताओं की पसंद-नापसंद को सिरे से दरकिनार कर दिया और उनसे कहा कि वे शर्मा के नाम पर अपनी सहमति दें। इसके बाद शर्मा के नाम का ऐलान कर दिया गया। बीडी शर्मा की नियुक्ति के साथ ही यह भी साफ हो गया है कि अब प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव होंगे और सालों से दीनदयाल परिसर में जमें नेताओं को बाहर का दरवाजा दिखाया जाएगा। शर्मा के पास विद्यार्थी परिषद के के कार्यकर्ताओं की खासी फौज है। माना जा रहा है कि इनमें से कई चेहरे अब भाजपा कार्यालय में दिखेंगे। शर्मा की नई कार्यकारिणी में भी नए चेहरों को ज्यादा मौका मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है।
नहीं कर पाए राकेश सिंह पूरा कार्यकाल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए राकेश सिंह उन बिरले नेताओं में से हैं जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। भाजपा में अमूमन प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। राकेश सिंह 18 अप्रैल 2018 को प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए थे। संघ नेताओं से पटरी न बैठा पाना और कार्यकर्ताओं से दूरी की लगातार मिल रही शिकायतें उनकी विदाई की वजह मानी जा रही है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह भी उन्हें दूसरी बार मौका देने के पक्ष में नहीं बताए जा रहे थे। शिवराज सिंह की नाराजगी के बाद शीर्ष नेताओं ने उन्हें वीडी शर्मा के नाम पर मना लिया।
शर्मा के नाम पर युवाओं में जोश
वीडी शर्मा के प्रदेशाध्यक्ष बनते ही पार्टी के युवा नेताओं में जोश दिखने लगा है। पार्टी में इस समय सक्रिय अधिकांश नेता अभाविप से आए हुए है, जिनका श्री शर्मा से सीधा संवाद व संपर्क है। भाजपा में आने व सासंद बनने के बाद भी वे लगतार प्रदेश के युवाओं से पूरी तरह से जुड़ाव कायम रखे हुए हैं। इसका फायदा भी अब पार्टी को मिलना तय माना जा रहा है।